एक हजार साल का इतिहास रखनेवाला, किसी समय में विराट वैभवविलासता को प्राप्त ,अपार शक्ति व सामथर्य रखनेवाले श्री हनुमानजी के माताके नाम से परिचित अंजनेरी तीर्थक्षेत्र आज अपनी वैभव विलासता खोकर जीर्णशीर्ण आवस्ता जैन संस्कृति का इतिहास जतन कर रहा हे. यादव काल में अंजनेरी ग्राम के तथा आसपास के परिसर में जैन लोग काफी संख्या में रहते थे. यहाँ पर आज भी दिगम्बर जैनियों की धरोहर दि. जैन मंदिर एवं गुफाये जीर्ण आवस्ता में खड़ी हे.इसी एक मंदीर में ई.स.११४२ (शके १०६३) साल का संस्कृति शिलालेख हे जिसमे यादव कालीन सेउणचंद्र राजा का मंत्री अपने व्यवसाय से धर्मकर्तव्य समझकर अंजनेरी जैन मंदिर हेतु दान देता था.इसी दानराशि से मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ हे.सन १६७६ में अंजनेरी औरंगजेब के कब्जे में गया तब यहाँ के जैन मंदिर उद्धवस्त किए गए अंजनेरी की धर्मप्रभावना लुप्त हो गई सन १७०८ में अंजनेरी पर मराठा पेशवे का साम्राज्य स्थापित हुआ तब मंदिरों का जीर्णोद्धार का प्रयास हुआ.इस बात की पुष्टी अर्चिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी की है।.
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